Thursday, August 12, 2021

manchhe ko kuro

 दर्द को भी अब दर्द होने लगा है,
दर्द ही आपके घाव धोने लगा है,
दर्द के साथ कभी रोए आप
अब दर्द आपको छू कर रोने लगा है।


नारी नहीं बेचारी इसके सब्र का बांध ना तोड़ो !
दुर्गा बन प्रतिशोध ये लेगी अबला ka भ्र्म छोडो !
     नारी शक्ति की सुपरहिट कविता

मैंने डर को डरते देखा है,
मैने मौत को मरते देखा है,
दिल में उम्मीद जिंदा रख ये मेरे दोस्त,
मैने अन्धों को पढ़ते देखा है।


ख्वाब टूटे हैं मगर हौंसले ज़िंदा हैं।
हम वो हैं जहां मुश्किलें शर्मिंदा हैं।।

21वीं सदी के स्वावलंबी ,स्वाभिमानी भारतीय नारी को सलाम🙏🙏
सक्षम बनो और आगे बढ़ो,जय हिंद

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